हेलो दोस्तों आप सबका ख्वाब साइट पे स्वागत है आज हम बताएँगे की नाभिक इलेक्ट्रॉन प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन क्या होते है और इसका काम क्या है दोस्तों । तो चलिय जानते है इन के बारे में।
नाभिक- परमाणु के केंद्र में स्थित भाग को नाभिक कहते है ।परमाणु का नाभिक प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो और चक्कर लगाते रहते है । नाभिक के चारो और इलेक्ट्रॉन के गति करने का अर्थ है कि नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच कोई आकर्षण बल कार्य करता है जो इलेक्ट्रॉन को नाभिक की और त्वरित करता है ।प्रयोग द्वारा यह पता चलता है कि यह आकर्षण बल प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन के बीच होता है । इसी के साथ यह भी पता चलता है कि दो प्रोटॉन अथवा दो इलेक्ट्रॉन एक दूसरे को पार्टिकर्षित करते है।
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन-इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटोन पदार्थ के आवेशित मूल कण है अर्थात ये अन्य किन्ही कणो में विभाजित नही किये जा सकते ।इलेक्ट्रॉन का द्रब्यमान 9.1×10^-31 किलोगराम तथा प्रोटॉन का द्रब्यमान 1.67×10^-27 किलोगराम होता है ।इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के विद्युत आवेश की मात्राएँ बराबर होती है ।परन्तु प्रकृती परस्पर विपरीत होती है ।इलेक्ट्रॉन की आवेश को -e तथा प्रोटॉन +e से ब्यक्त करते है ।आवेश की यह मात्रा प्रकृति e में प्रॉप्त आवेश न्यूनतम मात्रा होती है ।तथा किसी भी वस्तु का आवेश e के ही गुणीतो(1e,2e,3e...) की मात्रा में हो सकता है ।अतः e को विद्युत आवेश का मात्रक माना जाता है जिसे मूल आवेश कहते है s.i प्रणाली में e का मान 1.6×10^-19 कुलाम होता है।
न्यूट्रॉन-इसकी खोज चैडवीक ने सन 1932 ई० में किया था ।इसका द्रब्यमान प्रोटॉन के द्रब्यमान के लगभग बराबर ( कुछ ही अधिक ) होता है । न्यूट्रॉन एक उदासीन कण है अर्थात इसका विद्युत आवेश शून्य होता है।
Physics
नाभिक- परमाणु के केंद्र में स्थित भाग को नाभिक कहते है ।परमाणु का नाभिक प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है। इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो और चक्कर लगाते रहते है । नाभिक के चारो और इलेक्ट्रॉन के गति करने का अर्थ है कि नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच कोई आकर्षण बल कार्य करता है जो इलेक्ट्रॉन को नाभिक की और त्वरित करता है ।प्रयोग द्वारा यह पता चलता है कि यह आकर्षण बल प्रोटॉन तथा इलेक्ट्रॉन के बीच होता है । इसी के साथ यह भी पता चलता है कि दो प्रोटॉन अथवा दो इलेक्ट्रॉन एक दूसरे को पार्टिकर्षित करते है।
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन-इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटोन पदार्थ के आवेशित मूल कण है अर्थात ये अन्य किन्ही कणो में विभाजित नही किये जा सकते ।इलेक्ट्रॉन का द्रब्यमान 9.1×10^-31 किलोगराम तथा प्रोटॉन का द्रब्यमान 1.67×10^-27 किलोगराम होता है ।इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के विद्युत आवेश की मात्राएँ बराबर होती है ।परन्तु प्रकृती परस्पर विपरीत होती है ।इलेक्ट्रॉन की आवेश को -e तथा प्रोटॉन +e से ब्यक्त करते है ।आवेश की यह मात्रा प्रकृति e में प्रॉप्त आवेश न्यूनतम मात्रा होती है ।तथा किसी भी वस्तु का आवेश e के ही गुणीतो(1e,2e,3e...) की मात्रा में हो सकता है ।अतः e को विद्युत आवेश का मात्रक माना जाता है जिसे मूल आवेश कहते है s.i प्रणाली में e का मान 1.6×10^-19 कुलाम होता है।
न्यूट्रॉन-इसकी खोज चैडवीक ने सन 1932 ई० में किया था ।इसका द्रब्यमान प्रोटॉन के द्रब्यमान के लगभग बराबर ( कुछ ही अधिक ) होता है । न्यूट्रॉन एक उदासीन कण है अर्थात इसका विद्युत आवेश शून्य होता है।
thanks for the imformation
जवाब देंहटाएंNice information
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